इत्र

 जिसके पसीने से बने इत्र,

उसकी खूबसूरती के बारे में क्या कहना,

जो आँखों से कर दे क़त्ल,

 उसकी खूबसूरती के बारे में क्या कहना,

और मेघ जैसे घने बालो में छुपा ले गहराईयों को,

उसकी खूबसूरती के बारे में क्या कहना,

और एक हम,

जो सिर्फ नम आँख किये , सिर झुकाए

और रोके रहे जज़्बात अपने,

जो खुद हो इतनी ख़ूबसूरत,

उसके बारे में क्या ही कहना,

और जो बांधे एक फ़साना हमसे,

तो इस ज़िंदगी का क्या ही कहना!!! 

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