एक बार

जो कुछ कहना है,
कह दो ना,
ख़ामोश क्यों हो, कुछ बोलो ना,
रात भर सोये नहीं, यह आँखें बताती है,
जब हाथ कपकपाते है, जुबां लड़खड़ाती है,
क्यों सच है इतना मुश्किल, की यह बोलने से
पहले रूह काँप जाती है,
लगता है की. अब कुछ हर्फ़ सवाली होते है,
लगता है की, यह ख्वाब ख़याली है,
जुड़ते है हाथ से हाथ,
मगर बातें पुरानी होती है,
आँखों से आखों की मियांदे बढ़ जाती है,
लोगो के आगे रिस्तो की बुनियादें झुक जाती है,
बस इतना ना हो, दो कदम आगे बढ़ाओ ना,
यह दूरियों की रेखाएं अपने हाथो से मिटाओ ना,
और बोलो सच जो कहना हो,
झूटी नज़दीकियों से, सच्ची दूरियां अच्छी होती है ना,
फिर भी हम दूर जाये क्यों,
हाथ दूर हटाए क्यों,
नज़रे हम चुराए क्यों,
जब हम पास है, तो
दूर हम जाये क्यों,
यह एहसासो की रवानी है,
यह दुनिया की कहानी है,
लेकिन हम दुनिया की बातें करे क्यों,
तूम में ही हमने अपनी दुनिया बसा ली है,
यह आँखों की बातें
शब्दो की चाहत, या रूह से लगाव,
आज किस मोड़ पर ले आयी जनाव,
खैर छोडो सारी बातें,सारी बातें भुला कर पास आओ ना,
फिर से हाथ मेरा थामो ना,
थोड़ी बातें करो,
थोड़ा आँखों में देखो ना,
फिर एक बार सीने से लगा लो ना!!!


Comments

  1. Let's meet where horizon lies... Poem beautifully encrafted man.

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