अंत के बाद का प्रारंभ
कई बार ऐसा होता है की कई वस्तुओ की अहमियत हमें उनके करीब होते हुए भी पता नहीं चलती और हम उन्हें कई बार बहुत हलके में ले लेते है लेकिन उनकी असली कीमत उनके जाने के बाद पता चलती है जब हर छोटी छोटी जगह उनकी कमी खलती है, हर उस छोटी जगह जहां वोह अपनी जगह पक्की कर चुके है।
हम अक्सर सही मौको पर गलती कर बैठते है और बहुत कुछ गवां बैठते है, क्योकि हम सही मौको को जान नहीं पाते कई बार और व्ही हमारी सबसे बड़ी गलती बनकर पुराने जख्मो की तरह उभर आते है और समय समय पर यही बात याद दिलाते रहते है। सबके साथ होता ऐसा, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ की कोई ऐसा था जिसकी तलाश में कभी ना थे लेकिन वोह कुछ ऐसा था की जिसे आप छोड़ना नहीं चाहते हो लेकिन आप जानते नहीं हो की उसका अंत कैसा होगा क्योकि अंत हमेशा भला नहीं होता और ना ही ख़ूबसूरत होता है और ख़ासकर जब आपको चलना पसंद हो और सफर अच्छा लग रहा हो, सब तोह नहीं, हां कुछ सायद आपके हिसाब से चल रहा हो तब, तब जब यह सब बहुत ख़ूबसूरत लग रहा हो तब, जब दोनों समर्पित हूँ तब, दोनों खुश हो तब आप अंत कभी नहीं चाहते हो। हां कंही सोच सकते थे अंत के बारे में लेकिन सोचा नहीं था की ऐसा होगा, सोचा नहीं था आवाज़ जो हमेशा से खूबसूरत रही वोह कभी ऐसी भी लग सकती है।
गलती करने में कुछ बुरा नहीं होता है लेकिन इन जगहों पर गलती करने से आपको ज़िन्दगी भर का ग़म जरूर मिल सकता है की आप कुछ तो कर सकते थे तो आज कुछ और जरूर होता लेकिन सिर्फ यही बातें मायने नहीं रखती ।
किसी की ख़ुशी किसी का साथ भी रास्ते में ही जाता है, किसी की दोस्ती, किसी की उम्मीद भी जिसके वजह से आपको जाना ही पड़ता है। फिर एक उम्मीद सीने में दबाये की मिलेंगे कभी किसी रास्ते पे साथ में आराम से घूम सकेंगे गले में हाथ डाल कर बाते कर सकेंगे कुछ अच्छी बातें कर सकेंगे और इतने सब अच्छे के लिए थोड़ा इंतज़ार तो कर ही सकते है या किसी के ख़ुशी के लिए इतना तो कर ही सकते है ।
छोटी छोटी बातें या कुछ चीज़े बहुत कुछ बदल सकती है फिर वोह चाहे लोग हो या किताब "द ज़ाहिर " जैसी जो यह बताती है जरूरी नहीं होता पास होना, साथ भी इतना जरूरी नहीं होता जितना विश्वास जरूरी होता है , इस लिए कहते है की किताबे अक्सर पढ़ लेनी चाहिए जिससे हमे कई बातें सीखने को मिलती है जैसी जाने का सुख या देने का सुख या किसी को देख भर लेने का सुख या सिर्फ बात कर लेने का सुख ।
हम अक्सर किसी की तलाश में भटकते रहते है की काश कोई मिल जाए लेकिन ऐसे न कोई मिलता है जो साथ चल सके लम्बे रास्तो पर, इस लिए भगवान् पर विश्वास रख कर अपने काम पर ध्यान देना जरूरी होता है यही वोह बात है जिसकी वजह से कोई मिलेगा आपको बहुत अच्छा सा जरूर से ही जो रहे आपके पास तो नहीं लेकिन साथ जरूर रहेगा क्योकि कुछ सच्ची भावनाओ की कीमत आक नहीं सकते, हां लेकिन उनकी सच्चाई जरूर जान सकते हो लेकिन अगर कोई ऐसा मिले तो हाथ थाम कर चलने की हिम्मत जरूर रकना वार्ना हाथ ना थामना ना किसी का दिल तोड़ना क्योकि कभी कभी यह सब मौत से भी भदतर लगने लगता है और आप बार बार घुट घुट कर मरने लागते हो रोज रोज या आप किसी के दुुख का कारण बनते हो।
किसी की ख़ुशी किसी का साथ भी रास्ते में ही जाता है, किसी की दोस्ती, किसी की उम्मीद भी जिसके वजह से आपको जाना ही पड़ता है। फिर एक उम्मीद सीने में दबाये की मिलेंगे कभी किसी रास्ते पे साथ में आराम से घूम सकेंगे गले में हाथ डाल कर बाते कर सकेंगे कुछ अच्छी बातें कर सकेंगे और इतने सब अच्छे के लिए थोड़ा इंतज़ार तो कर ही सकते है या किसी के ख़ुशी के लिए इतना तो कर ही सकते है ।
छोटी छोटी बातें या कुछ चीज़े बहुत कुछ बदल सकती है फिर वोह चाहे लोग हो या किताब "द ज़ाहिर " जैसी जो यह बताती है जरूरी नहीं होता पास होना, साथ भी इतना जरूरी नहीं होता जितना विश्वास जरूरी होता है , इस लिए कहते है की किताबे अक्सर पढ़ लेनी चाहिए जिससे हमे कई बातें सीखने को मिलती है जैसी जाने का सुख या देने का सुख या किसी को देख भर लेने का सुख या सिर्फ बात कर लेने का सुख ।
हम अक्सर किसी की तलाश में भटकते रहते है की काश कोई मिल जाए लेकिन ऐसे न कोई मिलता है जो साथ चल सके लम्बे रास्तो पर, इस लिए भगवान् पर विश्वास रख कर अपने काम पर ध्यान देना जरूरी होता है यही वोह बात है जिसकी वजह से कोई मिलेगा आपको बहुत अच्छा सा जरूर से ही जो रहे आपके पास तो नहीं लेकिन साथ जरूर रहेगा क्योकि कुछ सच्ची भावनाओ की कीमत आक नहीं सकते, हां लेकिन उनकी सच्चाई जरूर जान सकते हो लेकिन अगर कोई ऐसा मिले तो हाथ थाम कर चलने की हिम्मत जरूर रकना वार्ना हाथ ना थामना ना किसी का दिल तोड़ना क्योकि कभी कभी यह सब मौत से भी भदतर लगने लगता है और आप बार बार घुट घुट कर मरने लागते हो रोज रोज या आप किसी के दुुख का कारण बनते हो।
साथ होना बहुत खूबसूरत होता है लेकिन बिछड़ कर मिलना का अलग ही मज़ा होता है क्योंकि जब आप मिलोगे बिना गिले सिकवे और बिना उम्मीद सीने में में बांधे शर्म की जमीं फंसे बिना, सच्चाई के साथ होना और बुरा देखने के बाद अच्छा देखना एक तरह की सुखद अंत की तरह लेकिन यह एक नयी तरह की शुरुआत होती है।:)
Hiii
ReplyDeleteHii bhai
ReplyDeleteवहभाई रूह छू गया आपके टूटे दिल का कसीदा।।।।।
ReplyDeleteहर दिन सूरज उगता ह हर दिन अस्त भी होगा
अभी हमारा शेर पस्त ह कभी न कभी मस्त भी होगा।
गिरेबान मैं यह सुनहरा साल लिए बैठा हु
ReplyDeleteयह गहराइयाँ , यह लहरें , यह तूफान , तुम्हे मुबारक
मुझे फ़िक्र क्या , मैं कस्तिया और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ...
aur haa mera dil nhi tuta hai bhai :)
🙋🙋
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